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कोई प्रेमी बनकर लिखता है!

कोई प्रेमी बनकर लिखता है,
अपने प्रेमिका की खूबसूरती को,
  निहारता है, निखारता है
   उसे तौलता है चांद से चांदनी से
    फूलों से औ' कलियों से,
    शाम को चमकने वाली गलियों से
    रोशनदान पर रखे फूलों से, महफिलों से
    जैसे उसके जिंदगी की तमन्ना है वो
    बस उसी के लिए जीता है वो!

कोई प्रेमी बनकर लिखता है,
अपने प्रेमिका की खूबसूरती को,
मीठे तराने से, गुनगुनाने से,
किसी मीठे धुन के बहाने से
उसकी चंचलता नदी की धारों से
शोख अदा लहरों की वारो से
चाल लहराती, बलखाती नागिन से
जुल्फ घटा काली बन जाए
नजर तलवारों से, भीषण वारो से
आंखे मोतियों से, पायल मधुर झंकारो से।
कोयल सी उसकी आवाज,
बुलबुल से उसके सुर - ताल
संगमरमर सी उसकी काया
ये सारी है उसी की माया।

गूंजता ही रहता है प्रेमी के मन में सरगम
प्रेम के रंग में भीग जाता है उसका तन मन
सरोबर होकर जो स्याही कागज पर पोत देता है
न जाने कहां-कहां से ऐसी उपमा लपेट देता है
नींद शायद खुले कभी प्रेमी की जो प्रेमिका नजर आएं
अलंकारों का यह नशा, उसका उतर जाए।
जो कानों में उसके शहद घोल दे
  एक दिन प्रेमिका मीठी बोली बोल दे!
  आएगा वास्तविकता के धरातल पर एक दिन
सपने के यह सारी दुनिया छोड़ कर
जब जायेगी अपने कोमल हाथों से,
प्रेमिका उसका मुंह तोड़ कर
लहूलुहान जबड़े टूटे हाथ से भी वह लिखता रहेगा
प्रेमिका की गाथा, महिमा,
खूबसूरती पर यह रचना
उपमान अलंकारों की ऐसी तैसी कर
  प्रेमिका पर सारा साजा गया वो गीत!

"कोई प्रेमी बनकर लिखता है,
अपने प्रेमिका की खूबसूरती को।"

#MJ


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5 Comments

Niraj Pandey

03-Aug-2021 12:38 PM

वाह बेहतरीन👌👌

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Ranjeet Shankar

02-Aug-2021 05:52 PM

बहुत खूब,🌹🌹💞💞💔💔😍😍✌️✌️

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Thank You

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Swati chourasia

02-Aug-2021 05:39 PM

Wow very beautiful 👌👌

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Shukriya jii

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